BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

हँसी नागफनी



बरसो बाद
हँसी  थी नागफनी 
खिले जो फूल

खिली मंजरी
निखेरगा सौंदर्य
प्रसूति बाद

झड़े पल्लव 
पतझर नहीं ये 
रोया वसंत

खोला जो द्वार

फ़ैल गया प्रकाश
हिय सदन

नींद से जागी
अलसायी कलियाँ
रश्मि ने चूमा

कच्ची अमिया
शाखो पर झूलते
ख्वाब रसीले





गुलमोहर ..अमलतास ..पलाश


 हिन्दी हायकु  मे प्रकाशित मेरे कुछ् हायकु ---
http://hindihaiku.wordpress.com/2013/05/22/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0-2/



आयेंगे कंत

कूकती कोयलिया
छाया वसंत 


 पलाश  फूल
निहारे  प्रिया  तोरे
सुर्ख कपोल


अमलतास

खिले  मन कानन

पिया  की आस


गुलमोहर
बुनते  फिर नीड़
खग युगल

मिटी  न व्यथा
सुन व्याधिरेचक  ( अमलतास)
तु  खिला वृथा

शीतल तन
गुलमोहर तले
जलता मन

छांव घनेरी
गुलमोहर तले

जिया जले  री

हुए  सदृश
प्रीत घृणा  के रंग

पलाश मौन



सुस्ताने  लगी
गुलमोहर तले

यादें  तुम्हारी


सरिता तट
जल  रहे अरण्य

गुलमोहर


प्रतीक्षा रत
बिछे  प्रिय के पथ

स्वर्ग के फूल (गुलमोहर )



झांके भीतर

खड़ा दहलीज़ पे
गुलमोहर 

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

प्रेमदिवस




परदेशिया 

मेघा लाये संदेशा 

भीगा भीगा  सा 

मन न माने
तके  राह अधीर
आयेंगे  मीत

ईट कि नहीं 

दीवारे हो प्रीत की

घर है वही 



आएंगे  कंत

कूकती कोयलिया

छाया वसंत 



ख्यालो में तुम 
दिल में भी तुम हो 
ज़िंदा अभी भी 

खटखटाते 
तेरे मन का द्वार 
बेबस हाथ

नैन बावरे
चुपचाप सँवारे
प्रीत की क्यारी
प्रेमदिवस 
ख़ुशी  एक दिन की 
खेद बरस 




शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

खुशबू बाकी





खुली किताब 

देता वही खुशबू 
सूखा गुलाब 

खोली किताब 
महका फिर आज 
सूखा गुलाब

जले जोनाकी 
मुरझाया गुलाब
खुशबू बाकी

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

जय माँ शारदे




बुद्धिदायिनी 

श्वेतवस्त्रावृता  माँ 
हंसावाहिनी
कर दो उज्जवल
अंतर्मन  हमारा 




वीणावादिनी
छेड़ तू सरगम
ज्ञानदायिनी

 आम्र मंजरी
दूँ पुष्पांजलि माते
भर अंजुरी




जग मायावी
हम बच्चे  अबोध
ज्ञानदायिनी 
है शरण  तिहारे 
दे बुद्धि विवेक माँ