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अरुन शर्मा 'अनन्त'
शनिवार, 15 फ़रवरी 2014
हँसी नागफनी
बरसो बाद
हँसी थी नागफनी
खिले जो फूल
खिली मंजरी
निखेरगा सौंदर्य
प्रसूति बाद
झड़े पल्लव
पतझर नहीं ये
रोया वसंत
खोला जो द्वार
फ़ैल गया प्रकाश
हिय सदन
नींद से जागी
अलसायी कलियाँ
रश्मि ने चूमा
कच्ची अमिया
शाखो पर झूलते
ख्वाब रसीले
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