BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

सूरजमुखी रिश्ते

कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ में इतने डूब जाते हैं कि दूसरों को धकेल कर या नीचे गिराकर खुद आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं।दूसरे लोग उनके लिए केवल सीढ़ियाँ होते हैं ऊपर चढ़ने की । उपरोक्त विषय पर आधारित सेदोका एवं तांका जो त्रिवेणी  में प्रकाशित हुये |




तांका
१)



मीठा बोलती 

कोकिल मन मोहे 
मन की काली 
कर्कश काक भला 
मन ममता भरा 



सेदोका 


१)

सजते नहीं 

सूरजमुखी रिश्ते 
जीवन गुलदस्ते 
सुबह खिले 
मुरझा जाते है ये 
सूरज जब ढले 

२)

तपस्यारत 
बगुला नदी तट 
निज उदर हेतु 
भोली मछली 
पहचान न पाती 
खल का ग्रास बनी 



गुरुवार, 14 नवंबर 2013

नन्हा गुलाब



नन्हे ये पंछी
सपनो में उड़ते
ऊँचे से ऊँचे

नन्ही हसती 
बाबुल बचपन 
जिन्दा करती 





 पाकर धूप
खिल उठे सुमन 
निखरा रूप 

नन्हा गुलाब
बगिया में अकेला
रहे उदास



लादे सपने
बचपन खोजते
नाजुक कंधे

हॅसते फूल
मुर्झा न जाये कहीं
कड़ी है धूप

प्रतिस्पर्धाएँ
हारता बचपन
माँ -बाप जीते

जूही के ख्वाब
बन जाऊँ  गुलाब
माली खातिर



शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

जल उठे दीपक




तुम  जो आये
जल उठे दीपक
मावस रात


जलाया  मैंने

एक प्रीत का दीप

सम्हालो तुम


अंततः हारा
एक नन्हे दीप से
तम  बेचारा

बनाये दिये
जग रोशन करे
तम में जीये



कच्चे दीपक
पका रहा कुम्हार
देंगे प्रकाश


देहरी पर 
सजा प्रेम दीपक 
पुकारे तुम्हे

देहरी पर
एक दीप जलाऊ
साँझ प्रहर
जुझारू योद्धा -
 चौखट पर  अड़ा 
                                नन्हा सा  दीया 



खुश है पापा
पप्पू पास हो गया
लक्ष्मी की कृपा

फोड़ो भी अब
प्रेम सद्भाव बम
घृणा मिटाओ

मिटा ना पाई
राग द्वेष के धब्बे
करी पुताई

बुझे नयन 
दीपोत्सव मनाते 
रोशनी देख


दीपदान हो 

कही फैले रोशनी 
नेत्रदान हो 

जली लड़ियाँ
हसी फुलझड़ियाँ
मनी दीवाली