हिन्दी हायकु मे प्रकाशित मेरे कुछ् हायकु ---
http://hindihaiku.wordpress.com/2013/05/22/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0-2/
आयेंगे कंत
कूकती कोयलिया
छाया वसंत
पलाश फूल
निहारे प्रिया तोरे
सुर्ख कपोल
अमलतास
खिले मन कानन
पिया की आस
गुलमोहर
बुनते फिर नीड़
खग युगल
मिटी न व्यथा
सुन व्याधिरेचक ( अमलतास)
तु खिला वृथा
शीतल तन
गुलमोहर तले
जलता मन
छांव घनेरी
गुलमोहर तले
जिया जले री
हुए सदृश
प्रीत घृणा के रंग
पलाश मौन
सुस्ताने लगी
गुलमोहर तले
यादें तुम्हारी
सरिता तट
जल रहे अरण्य
गुलमोहर
प्रतीक्षा रत
बिछे प्रिय के पथ
स्वर्ग के फूल (गुलमोहर )
झांके भीतर
खड़ा दहलीज़ पे
गुलमोहर
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी हाइकु....
जवाब देंहटाएंsukriyaa Kailash Sharma ji pasand karne ke liye :)
हटाएं