BLOG DESIGNED BY
अरुन शर्मा 'अनन्त'
शनिवार, 21 मार्च 2015
चटकी पारिजात
१)
प्रीत का सार
सर्वस्व समर्पण
हरसिंगार ।
२)
बिछाये धरा
पारिजात गलीचा
भोर की राह ।
३)
भीनी सी रात
चटकी पारिजात
महकी हवा ।
४)
निशब्द रात
झड़ी हरसिंगार
यौवन लूटा ।
५)
धरा रमणी
पारिजात गजरा
दुल्हन बनी ।
६)
हरसिंगार
वेणी गुँथे वसुधा
लुभाये पिया ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
New Stay in touch Scraps
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें