कल दिनांक २२-३-२०१५ को आदरणीय जगदीश व्योम जी के संयोजन में हाइकु आधारित राजकीय उच्चतम माध्यमिक बाल विद्यालय नयू अशोक नगर दिल्लीमें आयोजित "हाइकु समारोह " का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला । ये आजोजन अपने आप में बहुत सी खूबियों को समेटे हुए भारतीय हाइकु के क्षेत्र में एक यादगार और ऐतिहासिक आयोजन ही माना जायेगा ।क्युकी इसमें पहली बार हाइकु की तीन पीढ़ियाँ एक साथ एक जगह पर इकट्ठा हुयी और हाइकु पर सार्थक परिचर्चा हुयी । वरिष्ठ जनो के अनुभव और ज्ञान का लाभ उठाने का ये सुनहरा मौका मुझे मिला जिसके लिए व्योम सर जी की आभारी हूँ । कार्यक्रम की अध्यक्षता की आदरणीय लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी ने ,मुख्य अतिथि थीं आदरणीया डॉ अंजलि देवधर जी , । विशिष्ट अतिथि के तौर पर आदरणीय कमलेश्ा भट्ट "कमल " जी ,एवं आदरणीया उनिता सच्चिदानंद जी, ग आमंत्रित थीं जिन्होंने हाइकु पर सार्थक चर्चा भी की ।
समारोह का मुख्य आकर्षण राजकीय उच्चतम माध्यमिक बाल विद्यालय नयू अशोक नगर दिल्लीके बच्चो द्वारा लिखे गए हाइकुओ का संकलन "भारतीय बच्चो के हाइकु " का विमोचन था । इस पुस्तक का सम्पादन व्योम जी ने किया है और हाइकु का अंग्रेजी अनुवाद डॉ अंजलि देवधर जी ने किया है । हाइकु के लिए समर्पित व्योम जी का ये कदम अनुकरणीय है और हाइकु के क्षेत्र में एक अनुपम उपहार । नन्हे नन्हे बच्चे जिनके कदम भटकने लगे उन्हें सृजन शीलता की तरफ मोड़ कर उनमे परिवर्तन लाने की ये नायाब कोशिश एक उदहारण है आज के शिक्षा जगत के लिए भी शिक्षको के लिए भी । बच्चो ने सरस्वती वंदना सुना कर और अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की । पुस्तक के विमोचन के बाद बच्चो ने अपने हाइकु भी सुनाये । हाइकु पर आधारित पुस्तको की प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी । और साथ ही हाइकू पर बनी लघु फिल्मे भी दिखाई गयी । भारतीय हाइकु के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले JNU के प्रोफेसर डॉ सत्यभूषण वर्मा जी को उस फिल्म में देखना और सुनना निःसंदेह प्रत्येक हाइकुकार को एक सुखद और रोमांचक अनुभूति दे गया होगा ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ अंजलि देवधर जी ने पावर पॉइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से बच्चो के लिखे हाइकु भावपूर्ण चित्रो के साथ प्रस्तुत किये ।
इस कार्यक्रम में देल्ही और आस पास से कई हाइकुकार और हाइकुप्रेमीओ ने हिस्सा लिया। जिनमे डॉ राजीव गोयल जी , अरुण रुहेला जी , शोभना मित्तल जी ,रामकिशोर उपाध्याय जी , आर पी. सारस्वत जी ,सुजाता शिवेन जी , गीता पंडित जी , अवनीश चौहान जी यशपालसिंह जी संतोष कुमार सिंह जी , शिव मूर्ति तिवारी जी ,सुनील कुमार जी ,रणधीरजी , शबाब हैदर जी , गुंजन अग्रवाल नाम प्रमुख है ।शोभना जी कई दिनों से अस्वस्थता के बाबजूद भी मेरे एक बार कहने से ही आ गयी। .उनका ये स्नेह और हाइकू के प्रति प्रेम प्रेरणा देने वाला है । इसके अल्वा लखनऊ से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने कुछ सीखने सीखाने के उद्देश्य से आई आभा खरे जी से मिलने का सौभागय प्राप्त हुआ । बहुत ही प्यारी ये सखी बरबस सबको अपना बना लेती है । इन सभी रचनाकारो ने अपने हाइकु प्रस्तुत किये ।
समारोह के अंत में विशिष्ट अतिथितियो ने अपने सम्बोधन के दौरान बताया की हाइकु एक गहन विधा है । ये अनुभूतियों पर आधारित होता है इसमें कही न कही आप स्वयं भी छुपे होते है । एक हाइकू लिखने में कभी एक क्षण तो कभी कई साल भी लग सकते है । यह प्रकृति से जुड़ा काव्य है जो प्रकृति को मानव संवेदना से जोड़ता है । पर कुछ पुराने उपमाओं उपमानों तक सीमित न होकर नए प्रयोग जरुरी है । जीवन में हर क्षेत्र में हर घटना में हर वस्तु में हाइकू की विषय वस्तु मिल सकती है बस नजरिया होना चाहिए ।
अंत में आदरणीय व्योम सर जी ने इस आशा से सबका धन्यवाद ज्ञापन किया की इस तरह का समारोह साल में एक बार जरूर आयोजित किया जाना चाहिए । और ये कोशिश जारी रहेगी । एक बार पुनः व्योम सर जी का दिल से आभार मुझे इस महत्वपूर्ण यादगार समारोह का हिस्सा बनने का मौका देने के लिए ।
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