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अरुन शर्मा 'अनन्त'
बुधवार, 26 नवंबर 2014
धुंध के मोती
सोयी कलियाँ
सुख भरी निंदिया
धुंध रजाई
रोई जो दूब
आँसू पोछने आई
स्नेहिल धूप
धुंध के मोती
हरे दुशाला टाँके
ओढ़े धरती
खड़े हैं ठूँठ
सर्द हवा झेलते
वसंत आस
calling at door
sun disappear
foggyday
मंजिलें वही
कुहासे में खो गए /कुहासे ने निगले
डगर सभी
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