BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

आभासी जग



आभासी जग
छलिया मृगतृष्णा 
रहें सजग
आभासी जग
रिश्तों का भ्रमजाल
बुनते  लोग

अंतरजाल
बुने  मकड़जाल
उलझे लोग

घूमे बिल्लौटे
शिकार की तलाश
सभ्य मुखौटे

  तितली  मन 
उड़े  हर  चमन
जोगिया बन

भगवा  चोला
रास  रंग रचाता
ता --थ्यैया  बोला



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