ज्योति पर्व है
जले प्रीत के दीप
यही मर्म है
जले जो दीप
दया धर्म प्रीत का
मिटे तमस
नभ प्रांगण
तारक दीपमाला
चन्द्र कंदील
ज्ञान के दीप
अमूल्य है पुस्तकें
रद्दी न तोले
राह दिखाते
टिमटिमाते दीप
जुगनू नन्हे
कोई आया है
अँधेरी बस्तियों में
दीप लाया है
जलाये दीप
अन्धो की बस्तियों में
रहा अँधेरा
दीप कहता
जब तक है श्वाँस
योद्धा विजेता
दीप सन्देश
आखरी दम तक
छोडो न आस
बेचो कबाड़
ज्ञानदीप किताब
करना दान
लक्ष्मी की आस
द्युतरत झुग्गियाँ
दीप उदास
रंग रोगन
चमक उठे घर
दीमक लगे
देखे झोपड़
महलों के सपने
खेले चौपड़
मावस रात्रि
एक दीप जला दो
थमे न राही
देता पहरा
उम्मीदों का दीपक
मन देहरी
प्रतीक्षा रत
देहरी पर दीप
सांझप्रहर
अपने दूर
बेरंग लगे होली
उदास दीये
विद्युत लड़ी
सजाती है कोठियाँ
झुग्गी को दीया
दिल से दिल
मिले दीप से दीप
हँसे उजाले
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