बोंजाई बने
बरगद से रिश्ते
सिमटी छाया
आँधी थी भली
साथ उड़ा ले गई
रिश्ते नकली
रोती गुड़िया
किताबो में खो गयी
नन्हीं परियां
जीवित रिश्ते
लड़ते झगड़ते
मुर्दा न बोले
उधडे रिश्ते
जतन से सिलती
जोड़ दिखते
धूप प्रखर
लम्बी परछाईंयां
दुबकी घर
कोई न सगा
साये भी देते दगा
दिन ढलते
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