श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई
अधर्म नाश
श्री कृष्ण अवतार
दिव्य प्रकाश
चाह वात्सल
त्रैलोक्य स्वामी कान्हा
बंधे ओखल
भरा है घड़ा
कलि कंसो के पाप
फोड़ो कन्हैया
बंशी बैरन
कृष्ण अधर सजी
राधिका जली
राधे गोविन्द
दो तन एक प्राण
अमर प्रेम
कान्हा अधीर
पनघट है सूना
एक सी पीड़
मन कालिंदी
कालिया माया तृष्णा
काढ़ते फन
मन मोहन
बाँसुरी बना मुझे
छेड़ दूँ तान
घने अँधेरे
ज्योतिपुञ्ज हो तुम
मेरे साँवरे
मुख में तेरे
त्रैलोक्य समाहित
तू मन मेरे
बसे है मन
चितचोर नयन
ले गये चैन
राधा न मीरा
समर्पित गोपिका
कृष्ण शरण
शाश्वत प्रेम
राधे गोविन्द छवि
शेष है काम
राधा लजाई
डगर पनघट
कृष्ण कन्हाई
नाग नथैया
मन कालिंदी पैठो
हत कालिया
तुम हो साथ
मिटे मन विकार
बढ़ाना हाथ
मेरे मोहन
चिर काल विराजो
मन मंदिर
मनमोहन
आन बसो मन में
धन्य जीवन
सहस्त्र नाम
विराट रूप प्रभू
दया के धाम
नाम हजार
विविध रूप ,कर्म
रिपु संहार
नाच्यो बहुत
धर हाथ मुरारी
अनंत सुख
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