BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

रविवार, 11 मई 2014

मात तेरी ममता



ओर न छोर 
मात तेरी ममता 
जीवन डोर 



माँ नहीं साथ 
बाते जीवनभर 
थामती हाथ 

माँ का आँचल 
लहराता सागर 
प्रेम तरंग 

बंधती नही 
परिभाषाओ मे माँ
विराट सृष्टि 

तोड़ पत्थर 
गढ़ती है भविष्य 
माँ कलाकार 




माँ जल जैसी 
जिस पात्र में घुसे 
ढलती वैसी 

वज्र सी दृढ़ 
कभी फूल से नर्म 
माता का उर 

माँ हिमखंड 
सहे ताप प्रचंड 
लुटाये  नीर 


बनी कुमाता 

ममता खातिर ही 

कैकेयी माता



रूप हजार 
बरसाती है मैया 
केवल प्यार 




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