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रविवार, 4 मई 2014

खेत बगान - समाज कल्याण मई अंक में प्रकाशित हाइकू


१)
खेत बागान
नहर पनघट
यादो में बसे
२)
खो गयी कहीं
रुनझुन घंटियाँ
रहट  सूने
३)
 पगडंडियां
सड़को से जा मिली
मिटी  दूरियां
४)
नारी चेतना
नवक्रांति ले आई
टूटी बेड़ियां

५)
पसारे पांव
जहरीली हवाये
सिमटे गांव
६)
टूटी डगर
बनी चौड़ी सड़क
विकास दर
७)
प्रगति हुयी
अल्हड पगडण्डी
सोती ही रही
८)
बुढ़ा पीपल
चौपाल पर बैठा
प्रतीक्षारत
९)
हाट व मेले
प्राचीन संस्कृतियां
रखे है जिन्दा
१० )
खेत जोतते
ककहरा पढ़ते
ग्रामनिवासी
११)

अंतरजाल

गाँवों  तक पहुंची
क्रांति मशाल
१२)
खोजे गोरियां
पनघट को जाती
पगडंडियाँ
१३)
मन लुभाती
शहरी चकाचौंधग्राम भ्रमित
१४)
अपना गाँव
तपती दुपहरी
शीतल छाँव

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