फिर मिलेंगे
देता गया दिलासा
गुजरा साल
बटोही साल
छोड़ गया पोटली
यादो से भरी
ओस की बुँदे
खिड़की से फिसली
चमका रवि
dew drops
sliding from glass windows
sun shine
बदले रंग
मनुष्य वक्त ऋतू
रंग है स्थिर
शीतल छांव
धुप का महादान
गर्वित तरु
श्रम के बीज
खिलाएंगे सुमन
माली की आस
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