भाषा न होती
कैसे बातें करते
फूल तितली
म से
मकड़ी
अंग्रेजी की
जाल में
हिंदी जकड़ी
पाना है
मान
माता देश
भाषा का
करें सम्मान
मौन चकोर
या लहरो का शोर
भाषा सबकी
हिंदी है
भोली
हर भाषा
की बनी
शरणस्थली
आये ना राम
विवेकानंद करे
हिंदी उद्धार
सबको प्यारी
जननी जन्मभूमि
भाषा अपनी
माँ हुयी
ममी
पिता हो गए डेड
हिंदी अनाथ
कोने मे
खडी
हमारी राष्ट्रभाषा
सहे उपेक्षा
हो गयी बात
इशारो इशारो मे
कथा समाप्त
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-09-2013) के चर्चामंच - 1369 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएं@Arun ji ..apne meri rachna ko charcha anch me sthan diya iskeliye aabhari hu tahedil se .. or maafi bhi chahumgi thodi vyastata ke karan apka msg der dekha .. aj dekhti hu waha hajiri lagaungi .. mafi sahit .. aabhar :)
हटाएंबहुत सुन्दर भाषा
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जंगल की डेमोक्रेसी
swagat evem उत्साह बढ़ने केलिए हार्दिक आभार @Laxman bisnoi ji :)
हटाएंभाषा के महत्त्व को सार्थक करते सुन्दर हाइकू ...
जवाब देंहटाएंDigambar ji .. apki sarahana se lekhni ko thoda bal mila mila aabhari hu apki :)
हटाएंआपके हर हायकू में अनूठापण और ताजगी है. सुन्दर कृति.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप्क्र हर हायकू में अनूठापन और ताजगी है. सुन्दर कृति.
जवाब देंहटाएंनिहार जी .. आपने उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया को पढ़ कर लेखन कुछ हद तक अपने प्रयास में सफल हुआ .. :) आभार दिल se
हटाएंउत्साह बढ़ने केलिए हार्दिक आभार @sanny ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और पैने हाइकु रचे हैं आपने।
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आपके ब्लॉग का कलेवर भी बहुत मनभावन है।
aabhaar mayank sir ji ..apki pratikriya amulya hai mere liye .. bas ashirwaad banaye rakhen :)
हटाएंग़ज़ब के हाइकू ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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