BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

कच्चे धागे



 पिरोयी  माला
चुन मुक्तक  सच्चे
धागे थे कच्चे

तोड़ो भी मौन
बादल  या सूरज
तुम  हो कौन.??

जग के नाते
पल पल बदले
ऋतु हसते

एक बीहड़
जाने कब पनपा. !!
मेरे भीतर

रात चाँदनी
गहराया है तम
हिय प्रांगन

नारी चेतना
स्वर्णिम पैजनिया
वही वेदना


14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सभी हाइकू एक से बढ़कर एक
    नेह सुनीता

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  2. आदरणीया सुनीता जी सभी हाइकू बहुत ही सुन्दर है, अंतिम दो हाइकू इतने सुन्दर हैं कि बस वाह के आलावा शब्द नहीं हैं आखिरी दो हाइकू पर विशेषतौर से बधाई स्वीकारें.

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    1. स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया और उत्साह बढाने के लिए तहेदिल से आभार @अरुण शर्मा जी.. :)

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  3. उत्तर
    1. swagat hai @puran khandelwal jee ...स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया और उत्साह बढाने के लिए तहेदिल से आभार

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  4. एक बीहड़
    जाने कब पनपा!!
    मेरे भीतर .
    ...
    बहुत सुन्दर सार्थक हायकू

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  5. बहुत प्यारे हाइकु लगे आपके, हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ;-))

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    उत्तर
    1. स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया और उत्साह बढाने के लिए तहेदिल से आभार @sarika mukesh jee .. :)

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  6. उत्तर
    1. स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया और उत्साह बढाने के लिए तहेदिल से आभार @tau rampuriya jee.. :)

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  7. उत्तर
    1. स्नेहपूर्ण प्रतिक्रिया और उत्साह बढाने के लिए तहेदिल से आभार @kailash sharma jee :))

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