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अरुन शर्मा 'अनन्त'
मंगलवार, 18 जून 2013
रोया अम्बर
रोया अम्बर
आंसुओं ने डुबोया
पूरा शहर |
चलो तैराए
चाहतो की तरणी
स्वप्न सिन्धु में |
प्यासी है धरा
आये न आज फिर
कारे बदरा |
घिरे बादल
दे कर आश्वासन
हुए ओझल |
आया सैलाब
बादल फटा है या -
दिल किसी का |
2 टिप्पणियां:
Gobinda Agarwal
18 जून 2013 को 10:25 pm बजे
lajwab :)
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सुनीता अग्रवाल "नेह"
19 जून 2013 को 3:26 pm बजे
शुक्रिया @गोबिंद जी :)
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lajwab :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया @गोबिंद जी :)
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