सुधा सागर
ममता का आंचल
सुख गागर |
ममता का आंचल
सुख गागर |
कैसी थी दवा
सूखे थे जख्म सभी
सूखे थे जख्म सभी
हो गए जिन्दा ..!!
जिन्दा है यादे
साथ जीने के वादे
मृत है रिश्तें
नन्ही हँसती
बाबुल बचपन
ज़िंदा करती
ये लो मैं जीती
हार के सब कुछ
दांव प्रीत की
नेह मिलेगा
नेह के बदले में
बांटो जी भर
प्रेम दीपक
जले मन मंदिर
नेह की बाती
नेह बरसे
बरसों बाद मिले
बर्षों बिछड़े
बहुत सुन्दर.. ! सभी रचना.. !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया @ अरुण भाई जी .... ये जो भी सिखा आपके ही सानिध्य में सिखा है .. आपने संयमपूर्वक हमें हायकू सिखने में मदद की ... आजीवन आभारी हु आपकी और सदैव मार्गदर्सन की अभिलाषी :)
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