BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

मंगलवार, 25 जून 2013

यात्रा वृतांत




आकाश गंगा
घुमने चल पड़ा
चाँद अकेला | 

है सप्ताहांत
भ्रमणकारी मन
खोजे एकांत | 

यात्रा वृतांत
यादो भरी पोटली
हरते क्लांत | 

यात्रा आरम्भ
बहुतेरे पड़ाव
नहीं विश्राम | 

यात्रा है जारी
कपि मानव कपि
उल्टी है गाड़ी | 


14 टिप्‍पणियां:

  1. खुबसूरत रचना ,बहुत सुन्दर भाव भरे है रचना में,आभार !
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  2. बहुत ही सही ... उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही अर्थपूर्ण सुंदर हाइकू, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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    1. स्नेहसिक्त टिप्पणी के लिए तहेदिल से आभार .. @ताऊ जी ..
      jai shree krishna

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  4. ऐ मेरे राही
    मेहनत का काम
    कर आराम .....

    शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
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    1. आराम कहाँ ??
      मंजिल बुला रही
      चलते जाना

      हार्दिक आभार @ashok saluja ji .. jai shree krishna :)

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  5. सारगर्भित हाइकु...आपका ब्लॉग देखकर प्रसन्नता हुई...माँ सरस्वती की यूँ ही सेवा करती रहिए..शुभकामनाएँ और बधाई!
    सादर/सप्रेम,
    डॉ. सारिका मुकेश

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    उत्तर
    1. स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया दे कर उत्साह बढाने हेतु ह्हर्दिक आभार @सारिका मुकेश जी .... चेष्टा करुँगी आप की उम्मीदों पर खरी उतरूं..जय श्री कृष्णा

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  6. जीवन की की यात्रा के संदर्भ में लिखे यथार्थपरक हाइकू
    बहुत सुंदर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों

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    उत्तर
    1. स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया दे कर उत्साह बढाने हेतु ह्हर्दिक आभार ..जी आप का ब्लॉग ज्वाइन कर मुझे खुशी और गर्व होगा .. :) में जरुर ज्वाइन करुँगी अप कृपया यहाँ लिंक दे दीजिये.. जय श्री कृष्णा

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