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गुरुवार, 25 जुलाई 2013

बहुरुपिया जल



हिंदी हाइकू इ पत्रिका में प्रकाशित सेदोका 

१)
विस्मयकारी 
बहुरुपिया जल 
जीवन गीत कभी 
मौत की धुन 
दर्पण ,मोती कभी 
हीरक झिलमिल । 

२)
 गंगा समाया 
 बना पावन जल 
कीच मिला तो कीच 
संगत जैसी 
गति होगी वैसी ही 
नीर की यही सीख 

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