BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

रंग उल्लास



रंग उल्लास

ढप मृदंग थाप

झूमे  पलाश



जीवन एक

ईश्वर ने भरे है
रंग अनेक

भीगा है तन
रंग डालो  साजन
श्यामल मन

गुजरे लम्हे
रंग जाते है मन
अकेला देख 

श्यामल काया
प्रीत रंग रंग दे
फाग रसिया

रंगरेजवा
रंग मोरी चुनड
पिया  के रंग

पलाश टोली
भर फागुन खेली
यादो कि होली 

                                                         ओ मोरे कान्हा
यूँ रंग दीज्यो मोहे
हो जाऊं कृष्णा



खेलेंगे रंग

बलम परदेशी

यादो के संग


गा रही फाग
पिया परदेशिया
विरहा गान

फाल्गुनी हवा
ले जाना संग तुम

घृणा के रंग

खोजते रंग
बदरंगे सपने

ऐनक लगा



टूटे सपने 

बिखर गए रंग 

भरे थे तूने

उदास गोरी

बीता जाये फागुन

चुनर कोरी



चोली तो भीगी 

श्याम वरन मन 
है अभी कोरी

आया फागुन
दहकते पलाश
मन कानन
जीवन पट 
मनमर्जी रंगता 
वो चित्रकार / 

जीवन पट 
रंग भरे ईश्वर 
मनमर्जी के 

जीवन एक 
ईश्वर ने भरे है 
रंग अनेक

फाल्गुनी हवा
ले जाना संग तुम
घृणा के रंग
लाल  हलुद 
पलाश वैन फूले
पिया रंगून

होली विदाई 
रंग चढ़ा प्रीत का 
धोना न भाई 

चुभोते शूल

बिन तेरे साजन

टेसू के फूल


खिले पलाश
 
दहके फिर ख्वाब 
मन कानन 


शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

हँसी नागफनी



बरसो बाद
हँसी  थी नागफनी 
खिले जो फूल

खिली मंजरी
निखेरगा सौंदर्य
प्रसूति बाद

झड़े पल्लव 
पतझर नहीं ये 
रोया वसंत

खोला जो द्वार

फ़ैल गया प्रकाश
हिय सदन

नींद से जागी
अलसायी कलियाँ
रश्मि ने चूमा

कच्ची अमिया
शाखो पर झूलते
ख्वाब रसीले





गुलमोहर ..अमलतास ..पलाश


 हिन्दी हायकु  मे प्रकाशित मेरे कुछ् हायकु ---
http://hindihaiku.wordpress.com/2013/05/22/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0-2/



आयेंगे कंत

कूकती कोयलिया
छाया वसंत 


 पलाश  फूल
निहारे  प्रिया  तोरे
सुर्ख कपोल


अमलतास

खिले  मन कानन

पिया  की आस


गुलमोहर
बुनते  फिर नीड़
खग युगल

मिटी  न व्यथा
सुन व्याधिरेचक  ( अमलतास)
तु  खिला वृथा

शीतल तन
गुलमोहर तले
जलता मन

छांव घनेरी
गुलमोहर तले

जिया जले  री

हुए  सदृश
प्रीत घृणा  के रंग

पलाश मौन



सुस्ताने  लगी
गुलमोहर तले

यादें  तुम्हारी


सरिता तट
जल  रहे अरण्य

गुलमोहर


प्रतीक्षा रत
बिछे  प्रिय के पथ

स्वर्ग के फूल (गुलमोहर )



झांके भीतर

खड़ा दहलीज़ पे
गुलमोहर