BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

रविवार, 29 सितंबर 2013

बचपन की यादें







ढूंढती नानी
खो गयी जाने कहाँ ..
एक कहानी 

लदे है दिन
राजा रानी के संग
नानी दादी के

तितलियों सी 
बचपन की यादें 
हाथ न आती 

आज भी खेले 
बचपन की यादें 
गली मोहल्ले




गुड़िया रानी 
जली मोमबतियां 
बची कहानी 

बरखा रानी 
कागज़ की है नैया 
भिगोना नहीं 

यादो की कश्ती
हिय सिन्धु तैरती 
मंथर गति 







रविवार, 22 सितंबर 2013

बेटी दिवस



किन्नर गाये
बधाई ,लक्ष्मी  जाई
दिन वो  आएं 


रोली ना हिना
बन दीपक की लौ
तम  हरना

बजे नुपूर
या मंदिर की घंटी
बेटी  जो हंसी

छाया  बनती
अभिव्यक्ति तो कभी
आईना  बेटी

बेटी दिवस
मनाओ  मेरी लाडो
घर में बस

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

मेरी परछाई



"छाया" विषय पर आधारित सेदोका हिंदी हाइकू में प्रकाशित 
१)

जीवन यात्रा 
तपता मरुस्थल 
मृगतृष्णा का खेल 
थका पथिक 
कैक्टस के वन में 
तलाश रहा छांव 

२)
मुखौटे चढ़े 
भागते हुए लोग 
अजनबी शहर 
इन्हीं में कहीं 
मुझसे रूठ बैठी 
मेरी ही परछाई