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रविवार, 22 सितंबर 2013

बेटी दिवस



किन्नर गाये
बधाई ,लक्ष्मी  जाई
दिन वो  आएं 


रोली ना हिना
बन दीपक की लौ
तम  हरना

बजे नुपूर
या मंदिर की घंटी
बेटी  जो हंसी

छाया  बनती
अभिव्यक्ति तो कभी
आईना  बेटी

बेटी दिवस
मनाओ  मेरी लाडो
घर में बस

9 टिप्‍पणियां:

  1. बेटी दिवस की शुभ कामनाएँ एवं सुंदर सृजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई नेह सुनीता जी

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  2. कुछ दिनों पहले भी कोशिश की थी पर फॉलो नहीं कर पाया था ...शायद नेट की समस्या थी पर आज नहीं चूका ....आज तो फॉलो कर ही लिया है बहुत ही सुंदर लिखती है आप सुनीता जी

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-

    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  3. आज की बेटियां जीवन के हर सोपान पर श्रेष्ठता का परचम लहरा रही है . इस अनुपम पोस्ट के लिए बधाई.....!!!

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    1. संजय जी ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है ... आपके इन अमुल्य प्रतिक्रियाव ने मेरी रचनाओ का मान बढ़ा दिया .. जरुर औंगी आपके ब्लॉग पर .. हार्दिक आभार आपका .. :)

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  4. प्रणाम आदरणीय .. आपका आशीष बना रहे .. मेरी रचना को चर्चा में लगाने हेतु हार्दिक आभार .. कल में समयाभाव के कारन नही जा पाई थी आज सब देख कर आई ..उत्कृष्ट लिनक्स थे आभार

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