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रविवार, 14 फ़रवरी 2016

प्रीत का सार


बहते पात -
  भेजे है प्रेमपत्र
सिन्धु को सरि  ।

मौन है लब
तुम हो  मेरा प्यार
बोला गुलाब ।

प्रीत का  सार
सिंधु सरि मिलन
स्वत्ता विस्तार ।

सुर्ख  गुलाब
 बना प्रेम प्रतीक
कांटो के  साथ ।

कोई पुकारे
आँचल खींच बोले
मृदु झकोरे ।






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