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अरुन शर्मा 'अनन्त'
रविवार, 14 फ़रवरी 2016
प्रीत का सार
बहते पात -
भेजे है प्रेमपत्र
सिन्धु को सरि ।
मौन है लब
तुम हो मेरा प्यार
बोला गुलाब ।
प्रीत का सार
सिंधु सरि मिलन
स्वत्ता विस्तार ।
सुर्ख गुलाब
बना प्रेम प्रतीक
कांटो के साथ ।
कोई पुकारे
आँचल खींच बोले
मृदु झकोरे ।
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