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गुरुवार, 30 जुलाई 2015

अनुभूति में प्रकाशित हाइकु - बाँस ,वर्षा



रखते बाँस
अनुभव पोटली
लगा के गाँठ

खोजे पवन
मधुर सरगम
बाँस के वन

वर्षा ने छुआ
झुर्री भरी दिवार
सिसक उठी

नभ में दौड़े
बन ठन बादल
आवारा छोरे

लाये बदरा
परदेशी का ख़त
भीगा भीगा सा

http://www.anubhuti-hindi.org/haiku/vishayanusar/varsha.htm
http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/baans/haiku.htm



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