BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

गुरुवार, 28 मई 2015

जेठ की दुपहरी



1.
आ रे बदरा

लांछ्नाये जलाती
भरो अँचरा

2.

ताप संगत
खिले गुलमोहर 
नवरंगत

3.

धूप से मिली
मृदु मंद बयार 
लू बन चली
4.
कुछ सूखते
कुछ निखर जाते
ताप से वृक्ष
5. 
धूप प्रखर 
लम्बी परछाईयाँ
सिमटी घर
6.
पाकर धूप 
खिल गए सुमन
निखरा रूप
7.
चिहुँके पथ
जेठ की दुपहरी
स्कूल की छुट्टी
8.
चहके बच्चे 
फुफकारती लू के
टूटे है दंत
९.
धूप में खड़ा
बाँट रहा पलाश
रँग  प्रीत के
10.
शीतल छाँव
धूप का महादान
दंभित तरु
११.
धूप  या छाँव
चलते रहे राही
ढूंढते ठाँव

१२.
गली ,चौबारे
चहक रहे बच्चे
बिसूरती लू ।



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