BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

बुधवार, 30 जुलाई 2014

रची मेहँदी


रची मेहँदी 
चटख लाल रंग 
जलती सखी 

गावे कजरी 
नैन सावन भरे 
पिया बावरी 

लजाई मही
सावन पिया लाये 
चुनर हरी 

असमंजस 
पीहर पिया प्यारे 
जाऊ किधर

तुम्हारे बिन
सिसकती पायल 
मेहँदी मौन

बागो में झूले 
उदास है बाबुल 
लाडो न भूले

छवि देखती 
बिटिया दर्पण में 
माँ बिटिया में

पीहर प्यारा 
साजन बिना जले 
जिया बाबरा

नुपुर बने 
कुरीति,परंपरा  
पग जकड़े 


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