नन्हे ये पंछी
सपनो में उड़ते
ऊँचे से ऊँचे
नन्ही हसती
बाबुल बचपन
जिन्दा करती
पाकर धूप
खिल उठे सुमन
निखरा रूप
नन्हा गुलाब
बगिया में अकेला
रहे उदास
लादे सपने
बचपन खोजते
नाजुक कंधे
हॅसते फूल
मुर्झा न जाये कहीं
कड़ी है धूप
प्रतिस्पर्धाएँ
हारता बचपन
माँ -बाप जीते
जूही के ख्वाब
बन जाऊँ गुलाब
माली खातिर
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