BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

सोमवार, 26 अगस्त 2013

बंशी की धुन



मनमोहना 
छेड़ बंशी की धुन 
मिटे ना तृष्णा 

कृष्ण कन्हैया 
देखा तेरा मुखड़ा 

हुआ सबेरा 

माखन चोर 
मटकी भयि  ऊँची 
थाम ले बांह 


छलक रही 
पाप भरी गगरी 
तोड़ो हे हरी


देख अधर्म 

बैरन  बंसुरिया 
क्यूँ है तू  मौन  …।!!


बाजी  न हारी 
फिर भी लुट रही 

आज की नारी 


लुटती नार 
भूले दौपदी सखा 
वादा क्यूँ आज  ….???






14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/

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    1. आपकी सराहना मेरे लिए कीमती है .. उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार :)

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  2. सारे हाइकु बे-मिसाल
    हार्दिक शुभकामनायें

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    1. आपकी सराहना मेरे लिए कीमती है .. उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार :) @vibha ji

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  3. उत्तर
    1. आपकी सराहना मेरे लिए कीमती है .. उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार :) @jyoti kalash ji

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  4. उत्तर
    1. आपकी सराहना मेरे लिए कीमती है .. उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार :) @rasmi ji

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  5. @अरुण जी .. मेरी रचना को ब्लॉग प्रशारण में स्थान देने के लिए तहेदिल से आभारी हु आपकी ..अपने सदा ही मुझे प्रोत्साहन दिया है .. आपकी सराहना मेरे लिए कीमती है .. :)

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  6. मनमोहक कान्हा की तरह सुन्दर हाइकू ...

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  7. @madan mohan ji ..swagat hai apka .. sarahana purn pratikiriya ke liye haardik aabhar .. jarur aungi apki post par :)

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