हरसिंगार
1
नि:शब्द निशा
चटकता यौवन
महकी हवा
अभिसारिका धरा
स्तब्ध निहारे उषा ।
उड़ान
2
सजे नभ पे
तेरे नैनो के मोती
चन्द्रहार -से
चुग लाता मैं यदि
छू पाता वो आकाश ।
3
ऊँची उड़ान
नशा कामयाबी का
अरे नादान
बेबस ऑंखें तकें
घर आ जा परिंदे ।
ये सभी तांका त्रिवेणी में प्रकाशित हो चुके है।जिसका लिंक यहाँ दिया जा रहा है।http://trivenni.blogspot.in/2013/05/blog-post_7.html
ये सभी तांका त्रिवेणी में प्रकाशित हो चुके है।जिसका लिंक यहाँ दिया जा रहा है।http://trivenni.blogspot.in/2013/05/blog-post_7.html
बहुत प्रभावी तांका...
जवाब देंहटाएंKailash Sharma ji ... hardik abhaar ... apki pratikriya me mere utsaah ko doguna kar diya :) koi truti ho to kripya margdasan bhi karte rahe ..kyuki me to vidyarthi hu abhi :)
हटाएंसुंदर और प्रभावी पंक्तियाँ ....आप भी पधारो ..http://pankajkrsah.blogspot.com
जवाब देंहटाएंPankaj Kumar Sah ji ... haardik abhar ... ji me jarur aungi aapke blog par :)
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंSteve Finnell ji ... sure :) thnx 4 coming
जवाब देंहटाएं:)