BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

रविवार, 8 मई 2016

मैया दुलारे


माँ जल जैसी
मिले जाये जो पात्र
ढलती वैसी ।

पंख ही नहीं
दिशा व हिम्मत भी
माँ ने ही दिया ।

पूत ,कपूत
दोनों नयनतारे
मैया दुलारे ।

साथी से दुरी
गुलाब थी माँ ,हुयी
बाड़ कँटीली  ।

भव्य बँगला
खोजती  विधवा माँ
कक्ष अपना  ।

भीष्ण सुखाड़
सूखा  ना पाई धूप
ममत्व धार।

जब से सृष्टि
प्रभु ने ही सम्हाला
माँ की पदवी   । 

गुरुवार, 31 मार्च 2016

इंसानियत



सूखे नलके
बने फसाद जड़
जब टपके ।

 पंछी को नीर
 प्यासे को  मिले कोड़े
बीमार धर्म  ।

जल के साथ
हुयी बोतलबंद
इंसानियत ।

सुबह सुबह टी वी;पर एक अत्यन्त ही शर्मनाक समाचार देख कर मन बहुत उद्वेलित हो गया । जाने क्या हो रहा है? देवो की इस भूमि पर रहने वाले नरपिचाश कैसे बन रहे ? उफ्फ्फ किसी बच्चे ने दो घूँटपानी अपने सहयात्री की बोतल से बिना अनुमति लिए पी लिया तो उसे चार घंटे चलती ट्रैन की खिड़की से बांध दिया ! उस पर भी जी न भरा तो फिर उसकी बेल्ट से पिटाई की गई !? दो दिन पहले ही प्रधान मंत्री जी "मन की बात " में इसी जल  पर बात कर रहे थे की  कभी अपने घर चिट्ठी पहुँचाने वाले डाकिए को पानी पूछ कर  देखिये उसी कितनी ख़ुशी मिलेगी और आपको संतोष । जिस देश में जल दान को सर्वोच्च दान की श्रेणी में रख गया है वहां ऐसी हैवानियत !? ये वही लोग है जो केवल लाइक्स पाने के लिए गर्मियां आने से पहले व्हाट्सएप और फेस पर फोटो और सन्देश शेयर करते है "कृपया अपने घर के छत या बाहर कहीं खुले के चिड़ियों के लिए पानी रखें "
जी हाँ अब लोग पत्थर हो गए है । धर्म ग्रंथो में लिखी बाते अब अपच होती है अन्धविश्वास की संज्ञा दी जाती है उन्हें । केवल अपना दर्द अपना रह गया । इसलिए जहाँ स्त्री की  पूजा होती थी अब उसके साथ बलात्कार होते है। जरा सी बात पर खून की नदिया बहती है । माँ को ही गलिया देने वाले देशभक्त कहे जाते है। .. जय भारत;
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शनिवार, 26 मार्च 2016

आई रे होली



बच्चे ने मारा
रंग भरा गुब्बारा
गली अखाड़ा

हफ्ते भर से
बता रहे चैनल्स
आई रे होली

आया फागुन
बरषा गए रँग
उनके नैन

आया फागुन
रंगो में घुल गया
नीला  आसमाँ

बेटो ने  बाँटे
 गहने ,घर  संग
होली ,दिवाली

होलिकोत्सव
दिलो को रँग रहे
टी वी चैनल्स

फिरे तितली
और रँग की चाह
लालची मन