BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

बुधवार, 28 जनवरी 2015

प्रीत के पल



छंटे बादल
सहेजती अवनि
प्रीत के पल

ओस कनिका
खिड़की से झाँकती
टोहती  मन

लूटती  रँग
फूलों से तितलियाँ
रँगेंगीं पँख

है पलछिन
कुहासे भरे दिन
खोल दो पँख

उषा  नागरी
भरे ज्योति कलश
अम्बर सरि

मुक्त गगन
पंख पसारे उड़े
हठीले स्वप्न




शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

शीत की भोर




1)
घुप्प अँधेरा
जुगनू ने उठाया
भोर का बीड़ा |
2)
चारो प्रहर
चुभती तेरी यादे
शीत कहर|
3)
नभ में दौड़े
बन ठन बादल
आवारा छोरे|
4)
शीत की भोर
खलिहानों में उगे
मोती ओस के|
5)
धुंध फसल
सींचती ओस कण
बोये शीत ने |