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अरुन शर्मा 'अनन्त'
बुधवार, 28 जनवरी 2015
प्रीत के पल
छंटे बादल
सहेजती अवनि
प्रीत के पल
ओस कनिका
खिड़की से झाँकती
टोहती मन
लूटती रँग
फूलों से तितलियाँ
रँगेंगीं पँख
है पलछिन
कुहासे भरे दिन
खोल दो पँख
उषा नागरी
भरे ज्योति कलश
अम्बर सरि
मुक्त गगन
पंख पसारे उड़े
हठीले स्वप्न
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