रक्षाबंधन ... सावन मस की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला पावन त्यौहार।
ऐसी ही एक राखी की बात याद आती है। मेरे पतिदेव ५ भाईयो में चौथे नंबर पर है। मेरी शादी के पहले की घटना है। एक राखी पर बड़ी और छोटी भाभी के भाई आये पर मझली भाई के भाई किसी कारण से नहीं आ पाए। शाम को सब ननद ,भाभियाँ ,भाभियो के भाई एक जगह बैठक में इकट्ठे हो कर राखी के पर्व का आनंद ले रहे थे , हंसी ठिठोली उल्लास का माहौल था की पतिदेव ने देखा मझली भाभी की आंखे भीगी हुयी है। वो समझ गए और झट एक राखी ले कर पहुँच गए भाभी के पास कहा " देवर भी तो भाई समान होता है ,आप मुझे राखी बांध दीजिये। " सभी हक्के बक्के रह गए कुछ ने चुटकी भी ली कुछ ने रिश्ते की दुहाई देते हुए मना भी किया पर वो माने नहीं राखी बंधवा के ही माने। हो सकता है आपको भी अजीब लग रही हो ये बात आप भी ले रहे हो चुटकी पर जहाँ भावना प्रधान होती इन बातो का कोई अर्थ नहीं। मेरे मन में पतिदेव के लिए अपार श्रद्धा उमड़ गयी जब ये घटना सुनी तो।
पर्व और धर्म हमारे लिए है न की हम पर्व या धर्म के लिए | पर्व का अर्थ परिवार और परिचितों के साथ आनंद के कुछ क्षण व्यतीत करना। बिगड़ते रिश्तो को सम्हालना। जीवन की कठिनताओं में से कुछ पल सजीवता से जीना। आज कल के बच्चे प्रायः पढ़ने के लिए माता पिता परिवार से दूर हॉस्टल में ,दूसरे शहर में रहते है। इस कारण से वो आज कल पर्व ,त्यौहार रिश्ते , सबसे से दूर होते जा रहे है ,उन्हें कहाँ समय मिल पाता है बार बार घर आ कर परिवार के साथ मिल हर छोटा बड़ा त्यौहार मनाने का | मेरी बिटिया भी अपनी पढ़ाई के सिलसिले में हॉस्टल में ही रहती है। पिछले ७ साल में उसने केवल २ साल ही भाई को राखी बाँधी है। पिछले साल से मैंने एक रास्ता निकला। जब वो जाड़े की छुट्टियों में आती है तभी उस से उसके भाई को राखी बंधवा देती हूँ और यकीं मानिये दोनों बहुत खुश होते है। अबकी साल मेरी सहेली ने भी यही किया। आखिर पर्व त्यौहार हमारी खुशियों के लिए है :)
१)
भाभी से राखी
बँधा रहा देवर ~
गिरती बूँदे
२)
जाड़े की छुट्टी ~
भाई को राखी बांध
रही बहना
सभी जानते है ये भाई बहन के असीम प्रेम का पर्व है , भाई बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते है ,बहने भाई के दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। प्यार मनुहार ,नोकझोक , इस पर्व के उत्साह और आनंद को दोगुना कर देते है। भाई बहन साल भर इस त्यौहार का इन्तजार करते है। शादी के बाद प्राय भाई बहन के ससुराल जाते है राखी बंधवाने। बहने रास्ता तकती रहती प्यारे भाई की। समय के साथ पर्व और उससे सबंधित विचारो में भी परिवर्तन आने लगा है। राखी भी केवल भाई बहन का त्यौहार नहीं रह गया ये भावनाओ का त्यौहार है। जिसके प्रति आपकी भावना पावन हो उस से आप का रिश्ता बन जाता है। भाभी से राखी
बँधा रहा देवर ~
गिरती बूँदे
२)
जाड़े की छुट्टी ~
भाई को राखी बांध
रही बहना
ऐसी ही एक राखी की बात याद आती है। मेरे पतिदेव ५ भाईयो में चौथे नंबर पर है। मेरी शादी के पहले की घटना है। एक राखी पर बड़ी और छोटी भाभी के भाई आये पर मझली भाई के भाई किसी कारण से नहीं आ पाए। शाम को सब ननद ,भाभियाँ ,भाभियो के भाई एक जगह बैठक में इकट्ठे हो कर राखी के पर्व का आनंद ले रहे थे , हंसी ठिठोली उल्लास का माहौल था की पतिदेव ने देखा मझली भाभी की आंखे भीगी हुयी है। वो समझ गए और झट एक राखी ले कर पहुँच गए भाभी के पास कहा " देवर भी तो भाई समान होता है ,आप मुझे राखी बांध दीजिये। " सभी हक्के बक्के रह गए कुछ ने चुटकी भी ली कुछ ने रिश्ते की दुहाई देते हुए मना भी किया पर वो माने नहीं राखी बंधवा के ही माने। हो सकता है आपको भी अजीब लग रही हो ये बात आप भी ले रहे हो चुटकी पर जहाँ भावना प्रधान होती इन बातो का कोई अर्थ नहीं। मेरे मन में पतिदेव के लिए अपार श्रद्धा उमड़ गयी जब ये घटना सुनी तो।
पर्व और धर्म हमारे लिए है न की हम पर्व या धर्म के लिए | पर्व का अर्थ परिवार और परिचितों के साथ आनंद के कुछ क्षण व्यतीत करना। बिगड़ते रिश्तो को सम्हालना। जीवन की कठिनताओं में से कुछ पल सजीवता से जीना। आज कल के बच्चे प्रायः पढ़ने के लिए माता पिता परिवार से दूर हॉस्टल में ,दूसरे शहर में रहते है। इस कारण से वो आज कल पर्व ,त्यौहार रिश्ते , सबसे से दूर होते जा रहे है ,उन्हें कहाँ समय मिल पाता है बार बार घर आ कर परिवार के साथ मिल हर छोटा बड़ा त्यौहार मनाने का | मेरी बिटिया भी अपनी पढ़ाई के सिलसिले में हॉस्टल में ही रहती है। पिछले ७ साल में उसने केवल २ साल ही भाई को राखी बाँधी है। पिछले साल से मैंने एक रास्ता निकला। जब वो जाड़े की छुट्टियों में आती है तभी उस से उसके भाई को राखी बंधवा देती हूँ और यकीं मानिये दोनों बहुत खुश होते है। अबकी साल मेरी सहेली ने भी यही किया। आखिर पर्व त्यौहार हमारी खुशियों के लिए है :)
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