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रविवार, 24 जुलाई 2016

वर्षा की रुत



बैठे है भरे
किसकी प्रतीक्षा में
मेघ घनेरे ।

 खेत में सूखा
अटके है बादल
नैनो के छोर ।

पी  गया भानु
नदी ,पोखर जल
नलके प्यासे ।

भाँप से बूंदें
जीवन मृत्यु चक्र
गीता प्रत्यक्ष ।

वर्षा की बुँदे
कमर कसे नट
तार से झूले ।

केन्चो ,तितली
सब है आनंदित
वर्षा की रुत ।

published in
https://hindihaiku.wordpress.com/2016/07/24/1651/


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