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अरुन शर्मा 'अनन्त'
बुधवार, 11 फ़रवरी 2015
रोप दूँ वादे
रोप दूँ वादे
मिले कच्ची जमीन
पी के दिल में
पक्की जमीन
बुलंद ईमारत / तेरे मेरे प्यार की
क्यों रोपे वादे
पक्के वो वादे
निकले कच्चे घड़े
पानी में बहे
वादों के बीज
फुहारों संग बहे
दरकी मिटटी
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