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अरुन शर्मा 'अनन्त'
मंगलवार, 3 दिसंबर 2013
बिछी बिसात
बिछी बिसात
जीवन शतरंज
मोहरे हम
हार या जीत
जीवन एक दांव
बिछी बिसात
बाजी से नही
होती है हार जीत
वक्त के हाथ
मानव जात
चालो का भ्रमजाल
बिछी बिसात
काला या गोरा
जीते कोई भी राजा
पिटता प्यादा
राजा या रंक
करते है विश्राम
माटी के अंक
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