बैठे है भरे
किसकी प्रतीक्षा में
मेघ घनेरे ।
खेत में सूखा
अटके है बादल
नैनो के छोर ।
पी गया भानु
नदी ,पोखर जल
नलके प्यासे ।
भाँप से बूंदें
जीवन मृत्यु चक्र
गीता प्रत्यक्ष ।
वर्षा की बुँदे
कमर कसे नट
तार से झूले ।
केन्चो ,तितली
सब है आनंदित
वर्षा की रुत ।
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