BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

बुधवार, 26 नवंबर 2014

धुंध के मोती

सोयी कलियाँ
सुख भरी निंदिया
धुंध रजाई

रोई जो दूब
आँसू  पोछने आई
स्नेहिल धूप


धुंध के मोती
हरे दुशाला टाँके
ओढ़े धरती

खड़े हैं ठूँठ
सर्द हवा झेलते
वसंत आस


calling at door
sun disappear
foggyday

मंजिलें वही
कुहासे में खो गए /कुहासे ने निगले
डगर सभी


सोमवार, 24 नवंबर 2014

इश्क की अदा

शास्वत प्रेम 
राधा कृष्ण मिलन 
शेष फरेब

महाभारत 
रामायण की कथा 
इश्क ने गढ़े

करुना प्रेम 
डूबे उतरे जहां 
इश्क का मर्म ।धर्म

हुई जो बर्षा 
धुले गिले शिकवे 
मनवा हर्षा

इश्क की अदा 
निभाए वादे वफा 
शत्रु से सदा 

देकर दिल 
खरीद लिया दर्द 
जीना मुश्किल

 प्रेम तपस्या 
सदियों की साधना 
चिर प्रतीक्षा ।मूक वेदना

मौन अधर 
छलछलाते नैन 
कथासागर/ इश्क सागर

कोरे कागज 
मुट्ठी भर अक्षर
प्रेम अनंत

इश्क दरिया 
विश्वास पतवार 
माँझी है जिया 

तप्त धरती 
पड़ी बूंद स्वाति की 
क्षणिक तृप्ति 

स्नेहिल स्पर्श 
मिटे गिले शिकवे 
दिल आबाद

पसरा मौन
दिलो के दरमियाँ 
मुखर नैन

बरसे घन 
ह्रदय मरुस्थल 
खिले सुमन

तड़पे पन्ने 
सिसकती लेखनी
इश्क बेजुबाँ

जला पतिंगा 
घुटती रही शमा 
इश्क है सजा

आया सावन 
घिरे नही बदरा । लौटे नही बदरा
बरसे नैन

प्रीत के गीत 
नयन पृष्ठ लिखे 
पढ़ लो मीत

इश्क है रब 
खूबसूरत झूट
कहते सब

दिल तिजोरी 
उम्र भर सम्हाले 
इश्क जागीर

मन मंदिर 
जले प्रीत के दीप 
नेह की बाती

खटखटाते 
तेरे मन का द्वार 
बेबस हाथ

जलाया मैंने 
एक प्रीत का दीप 
सम्हालो तुम

नहीं चाहिए 
वफा जफा का लेखा 
प्रेम अमर

बाकी है आस 
फिर उठे पलके 
फैले उजास

शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

मासूम किलकारी


खेल खिलौने 
मासूम किलकारी
खोये पोथी में


रोती गुड़िया 
किताबो में खो गयी
नन्ही परियाँ


थोड़ी सी धूप 
थोड़ी स्नेह की वर्षा 
खिले पुहुप


नन्हा परिंदा 
हौसलों की उड़ान 
नभ सिमटा

 रखना छाँव सूख न जाये पौधे 
कड़ी है धूप


नन्हे पादप 
बनेगे कल वृक्ष 
स्नेह से सींच