BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

प्रेम तुम्हारा




दर्द देते है 

दुआओं में लपेट 

अपने ही है 



फूल रोपे थे 

बंजर दिल तेरा 
कैक्टस उगे 

देखा जो तुम्हे

लगे गुनगुनाने
गुजरे लम्हे
हम हैं वहीँ
और तुम भी वही
वक्त बदला

तुम सागर 
मैं होती जो सरिता 
मिलन होता 

पूछा जो तूने 
कभी प्यार किया है

तडपा  जिया




जख्मी है जिया 

तुम ही मरहम 
बेदर्दी पिया


प्रेम तुम्हारा 
शब्द बंधन परे 

कागज़ कोरा



कोई न राम 

अभिशप्त अहिल्या 
रही पाषाण
 मन में बसा 

पत्थर का देवता 

बूत ही रहा 



जलाये जिया 

सुमन आली प्रीत 

परदेशिया






बुधवार, 9 अप्रैल 2014

झड़े पल्लव



१)
वर्षा नैनो में
बसंत पतझड़
बसे मन में

२)

झड़े पल्लव 
पतझड़ नहीं ये 
रोया वसंत 
३)
पुराने पात 
पतझड़ आते ही 
छोड़ते साथ 
४)
हरित पात 
अचानक  जो झड़े 
तरु  उदास 
५)
आया वसंत 
बेअसर खड़ा है 
बुड्डा पीपल
६)
प्रिय वसंत
पतझड़ सँवारे
तेरा ये रूप
७)
मन के ऋतू 

वसंत पतझड़
बदलेगा तू