प्रेम चन्दन
लूट जाए न लाज
लिपटे सर्प
पिघल गयी
बून्द बून्द चाँदनी
आगोश पी के
नब्ज टटोला
मिला न कोई रोग
था वो मन का
तुम्हारे बिन
सिसकती पायल
कंगन मौन
पिया न पास
जल रहा सावन
झूले उदास
खिंच आँचल
पवन उड़न छू
ठिठके पग
बाकी है आस
फिर उठे पलक
फैले उजास
बनेंगे शोले
स्मृति की चिंगारियाँ
रोको हवा को
बंजर धरा
निखरी हरियाली
प्यार में तेरे
बाँसुरी बनूँ
धरो अधर तुम
गीतों में ढलूँ
प्रेम सुगंध
फैलती चली जाए
तोड़ बंधन
चुराए हवा
चन्दन की खुशबू
महका वन
प्रेम का अर्क
है शीतल चन्दन
हरे तपन
रखना पग
मेरे मन प्रांगण
थोड़ा सम्हल
किरचों की जमीन
कर दे न घायल
निखरी हरियाली
प्यार में तेरे
बाँसुरी बनूँ
धरो अधर तुम
गीतों में ढलूँ
प्रेम सुगंध
फैलती चली जाए
तोड़ बंधन
चुराए हवा
चन्दन की खुशबू
महका वन
प्रेम का अर्क
है शीतल चन्दन
हरे तपन
रखना पग
मेरे मन प्रांगण
थोड़ा सम्हल
किरचों की जमीन
कर दे न घायल