लेख्य मञ्जूषा द्वारा प्रकाशित पत्रिका "साहित्यिक प्रतिछाया " के हाइकू विशेषांक में प्रकाशित
हाइकु -एक परिचय द्वारा :- संजय सनन एवं सुनीता अग्रवाल "नेह"
लघुतम कविता के रूप में रूप जापानी विधा " हाइकु " का प्रसार विश्व भर में अतीव तीव्र गति से हो रहा है | भारतीय साहित्य में भी हाइकु अब कोई नव्यतम विधा नहीं रही | वर्तमान में हिंदी, गुजराती ,पंजाबी , मराठी आदि कई भारतीय भाषाओ में बहुतायत से हाइकु लिखे जा रहे है | हिंदी में श्लोक , दोहा ,आदि कई लघु काव्य रूप हैं लेकिन हाइकु अपनी रुप संरचना ही नहीं बल्कि विचार संरचना के सन्दर्भ में भी अन्य विधाओं से बिलकुल अलग है | पांच ,सात ,पांच कुल सत्रह वर्णो में तीन पंक्तियों में लिखी जाने वाली हाइकु वार्णिक विधा है | बाशो ने हाइकु को तपस्या कहा है तो अतिशयोक्ति नहीं है | हाइकु एक पल की घटना को परोसने की खूबसूरत कला है जिसे पढ़ते ही पाठक के मुँह से वाह निकलता है | ये वाह क्षण हाइकु का विशेष गुण है जो दैनिक जीवन में घटित एक साधारण घटना को भी असाधारण बना देता है | दैनिक जीवन की छोटी सी घटना से लेकर प्रकृति में घटित होने वाली कोई भी घटना हाइकु की विषय वस्तु हो सकती है | चुकी यह एक आयातित विधा है इसलिए इसे लेकर काफी भ्रांतियां भी है | पांच सात पांच में कुछ भी लिख देना हाइकु नहीं है |हाइकु के कुछ विशेष नियम है जो इसे अन्य विधाओं अलग करते है :-
- क्षण :- हाइकु में एक क्षण विशेष की घटना का वर्णन होता है | हम अपनी पांचो ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा जब किसी क्षण की अलौकिकता या विलक्षणता को महसूस करते है तो उसे "हाइकु क्षण" ,"वाह क्षण ",या " आह क्षण " कहते है |
- बिंब :- हाइकु किसी क्षण विशेष को कैमरे में कैद करने के जैसा होता है अर्थात किसी क्षण विशेष की घटना को कवि बिंबो के द्वारा दिखलाने की कोशिश करता है | एक हाइकु में दो बिम्बो का प्रयोग होता है जो पांच + बारह या बारह + पांच के क्रम में होता है |
- बिंब स्पष्ट होने चाहिए |
- बिम्ब ठोस होने चाहिए इनमे कल्पना ,विचार ,या संकल्प या मानवीकरण न हो |
- बिम्ब ज्ञानेन्द्रियो द्वारा महसूस होने चाहिए अर्थात कवि ने जो महसूस किया वो पाठक को भी महसूस हो |
- एक से ज्यादा ज्ञानेन्द्रियो का प्रयोग हाइकु को और भी स्पष्ट बना देता है |
- विम्बों का प्रयोग घटना घटित होने के क्रम के अनुसार ही होने चाहिए और वर्तमान काल में होने चाहिये |
- बिम्बो का सानिद्ध्य ( J uxtaposition of image ):- जब कवि दो बिलकुल भिन्न बिम्ब को सानिध्य में रख कर हाइकु लिखता है तो उसे juxtaposition of image कहते है | परन्तु इन दोनों बिम्बो का आपस में गहरा सम्बन्ध भी होना जरुरी है |यानि एक बिम्ब दूसरी बिम्ब को बल या सार्थकता प्रदान करती हुयी होती है | उदाहरण :-
उड़ती जुल्फ -
बादलो के ओट से
निकला चाँद
- संजय सनन
झुकते नैना -
मेघो की आगोश में
सरका चाँद
- संजय सनन - चीरा या किरे या कटाई (cut mark ):-हाइकु में दो बिम्ब का प्रयोग किया जाता है जो पांच + बारह या बारह + पांच के क्रम में होता है | इन दोनों बिम्बो को अलग करने के लिए एक बिम्ब में बाद और दूसरे बिम्ब से पहले चीरा या कट मार्क (-) का प्रयोग किया जाता है जो बिम्ब बदलने का संकेत देता है | उदाहरण :-
करवा चौथ -
विधवा के पार्लर
लम्बी कतार
-संजय सनन
-संजय सनन
- ऋतु बोधक शब्द ( kigo ) ;- हाइकु में ऋतु बोधक शब्द का होना आवश्यक माना जाता है | यानि ऐसे शब्द जो किसी ऋतु विशेष का प्रतिनिधित्व करते हो | ये शब्द स्वयं उस ऋतू का नाम या उस ऋतू विशेष में पायी जाने वाली सब्जी ,अनाज , पशु या पक्षी विशेष कुछ भी हो सकते है |जापानी में ये शब्द एक संग्रह से ही लिया जाता है इसे "साइज की " कहते है | उदाहरण :-
गाडी पे ओस -
बच्चो के हाथ लगी
ड्राइंग शीट
- सुनीता अग्रवाल "नेह"
साड़ी की सेल
पत्नी अंकालिंगन
प्रात काल में
-संजय सनन
वृद्ध आश्रम -
माँ संग खींच सेल्फी
निकला बेटा
-संजय सनन
हालाँकि भारत में ज्यादातर हिंदी के हाइकुकार सेनर्यू और हाइकु में कोई भेद नहीं मानते | भारत में हाइकु के क्षेत्र में अभी भी पूर्ण और सटीक जानकारी का आभाव है लोग पांच सात पांच में कुछ भी लिखने को हाइकु नाम दे देते है | बिडम्बना यह है की जिन हाइकुकारों को हाइकु के सटीक दिशानिर्देश का ज्ञान है उनमे से अधिकांशतः अंतर्राष्ट्रीय पटल पर और इंग्लिश भाषा में लिखना पसंद करते है | इसलिए जो गलत प्रणाली में लिख रहे उनमे कोई सुधार होता नहीं दिखता | ऐसे में आदरणीय तुषार गाँधी जी ने एक प्रयास किया हिंदी हाइकु को सही दिशा की ओर मोड़ने का | और उनका साथ दे रही है आदरणीय विभा श्रीवास्तवा जी | फेसबुक पर हाइकु पाठशाला / कार्यशाला समूह के माध्यम से तुषार गाँधी जी के मार्गदर्शन में हाइकुकारों ने हाइकु के सही स्वरूप को समझने और उसी के अनुरूप लिखने की कोशिश की | इस अंक में हम उसी समूह में हाइकुकारों द्वारा रचित चुनिंदा हाइकु पाठको के समक्ष समीक्षार्थ रख रहे है आशा है पाठको को ये पसंद आएंगे और इसके द्वारा हाइकू सीखने वाले भी लाभान्वित होंगे |
मीनू झा
नभयान से
हाथ हिलाती बेटी-
भोर का तारा
कैनवास पे
पड़े पानी के छीटें -
धुला सिंदूर
विष्णु प्रिय पाठक
लटका नीड़
पावर हाउस पै -
खतरा चिह्न
मुन्नी बीमार~
सर के पास रखा
घोड़े का नाल
धनतेरस -
इकठ्ठा करे सेठ
कर्ज की पर्ची
टूटी सड़क -
शिला पे नामांकित
मंत्री का नाम
वैद्य की गाड़ी -
संख्या पटल पर
लटका जूता
विभा रानी श्रीवास्तवा इंद्रधनुष -
शादी में कुम्हारन
बर्तन लाई
चंद्रमा हिले दीपों की ठोकर से- देव दीवाली साड़ी की सेल - गूँजती तितलियाँ छोर से पोर जीतेन्द्र उपाध्याय अद्वैतजोगिआ इत्र की शीशी - उज्जल पट धारे रात की रानी मंगल लग्न - पगड़ी की दुहाई दे रहा बापू शशि त्यागी
बाइक रैली -
भागे हैं सिर झुका
भेड़ों के झुंड
नवेली बहु-
घर मध्य घूमता
सुगंध झोंका
शरद श्रीवास्तव
लेकर आया
पत्र पेटी से खत़-
इत्र का फाहा।
मंजू शर्मा
चूल्हे पे कढ़ी --
बनते बिगङते
भित्ति पे चित्र
परवीन मालिक बर्फीली हवा
तन छू के गुजरे-
लगा करंट
कृष्णा गोप
माला अर्पित
पुत्र के चित्र पर
धुंधली दृष्टि
जानकी वाही
सालों में मिला
नीले स्वेटर में वो-
प्रथम भेंट
तूफ़ान संग
भटक रहा पत्ता -
रमता जोगी
धुंध के पार -
पाल वाली नाव में
गूँजता गीत
धन का खेत -
सावन के झड़ी से
हुड़का धुन
संजय सनन
खनके चूड़ी
नवविवाहिता की -
बसंत गीत
बच्चों की फीस -
मंगलसूत्र देते
रोई विधवा
पहली भेंट -
और गहरा हुआ
गाल का गड्ढा
उमड़े मेघ -
विधवा के अंगना
गाए पपीहा
.मैं पदोन्नत -
पिता मुस्कुरा रहे
फोटो फ्रेम मे
चल पड़ी माँ
हरिद्वार की राह -
अस्थि कलश
प्रेम दिवस -
जेब मे मुरझाया
सुर्ख गुलाब
कथा का अंत -
नम आँखों से देखे
उठती अर्थी
गुरपुरब -
गाँव वाले ढाबे का
ठंडा तंदूर
रात की पारी -
प्रवासी के होठों पे
क्षेत्रीय गीतअधूरा चित्र -
बारिश में भीगती
नई दुल्हन
सुनीता अग्रवाल "नेह"
विदाई वेला
कुण्डी में फंस गया
पल्लू का छोर
घर का पता -
अंधड़ में उखड़ा
पेड़ नीम का
प्रेम दिवस -
एक लाल गुलाब
चुभा पैर में
गिरती बूंदें -
धूल रहे दो दिल
पेड़ो पे खुदे
ठिठके पाँव -
मदिर की सीढ़ी पे
पिता का नाम
शीत लहर -
सिगड़ी में सुलगा
अधूरा खत
श्रावणी तीज -
मेरे साथ झूलते
लाकेट में वो
खुली खिड़की -
हवा उदा ले गयी
अधूरी चिट्ठी
किलकारियां -
जुड़वाँ बच्चो की माँ
नींद से परे
दिनेश चंद्र पांडेय टपका आम -
हवा के साथ साथ
पत्थर चले
धरणीधर मणि त्रिपाठी
बहती चुन्नी
धरा के समान्तर -
रोता बालक
टपका आम -
बच्चो की भिड़ंत में
ले भागा कपि
गरुड़ पाठ -
प्रसाद बँटते ही
भिड़े दो भाई
कैलाश कल्ला
चोंच मारती
दर्पण को चिड़ियाँ
उड़े व लौटे
वृद्धाश्रम में
पोता छू रहा पांव
बेटे के आँसू
घने बादल -
विडिओ कॉल देख
पूजती चाँद
संजय सूद
हिंदी दिवस
फातेहा पढ़ रहे
हिंदी के काजी
मन रहे हियँ
मजदूर दिवस
वो काम पर
बड़ी दरारें
कहाँ तक छुपाती
गाँधी की फोटो
मांगता आधी
वो देती पूरी रोटी
माँ का गणित