हरसिंगार
1
नि:शब्द निशा
चटकता यौवन
महकी हवा
अभिसारिका धरा
स्तब्ध निहारे उषा ।
उड़ान
2
सजे नभ पे
तेरे नैनो के मोती
चन्द्रहार -से
चुग लाता मैं यदि
छू पाता वो आकाश ।
3
ऊँची उड़ान
नशा कामयाबी का
अरे नादान
बेबस ऑंखें तकें
घर आ जा परिंदे ।
ये सभी तांका त्रिवेणी में प्रकाशित हो चुके है।जिसका लिंक यहाँ दिया जा रहा है।http://trivenni.blogspot.in/2013/05/blog-post_7.html
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