उदंती में प्रकाशित कुछ नए हैकुज़ उदंती पत्रिका के लिंक के साथहार्दिक आभार आदरणीय +Rameshwar Kamboj भैया जी का जिन्होंने उदंती में हाइकू प्रकाशित करवाया | आप दो सदा ही मेरे लिए प्रेरणा श्रोत रहें है |आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की सदा आकांक्षी रहती हूँ |
http://www.udanti.com/2014/04/blog-post_1291.html
३)
दिशाविहीन
पहुँचा देंगी
हम हैं वहीँ
१७ )
२०)
मन के रिश्ते
बंधे प्रीत की डोर
सदा निभते
२२)
संजोये रखे
फूलों से बेहतर
तेरे सितम
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१)
सूरज चाँद
माँ की सेवा करें
पारियाँ बांध
२)
है सप्ताहांत
चहक रहे चूजे
चिड़ी उदास
३)
कैसे हो तुम
कामकाजी दम्पत्ति
चैट में पूछे
४)
४)
मिले परिंदे
सप्ताहांत छुटियाँ
फिर उड़ेंगे
5)
खो गये कहीं
5)
खो गये कहीं
चाँद तारे नज़ारे
साथी हमारे
६)
६)
दिशाविहीन
भटक जाते राही
राहे चलती
७)
७)
पहुँचा देंगी
किसी मंजिल तक
चलती राहें
८ )
देखा जो तुम्हे
लगे गुनगुनाने
गुजरे लम्हे
देखा जो तुम्हे
लगे गुनगुनाने
गुजरे लम्हे
९_)
हम हैं वहीँ
और तुम भी वही
वक्त बदला
१०)
तुम सागर
मैं होती जो सरिता
मिलन होता
११)
खुशियाँ नही
अक्सर धोखा देती
मायूसियाँ भी
अक्सर धोखा देती
मायूसियाँ भी
१२)
बंदूक चुप
बरसे कुछ शब्द
रिश्ते घायल
१३)
जीवन ग्रंथ
अनूठी प्रश्नावली
अनसुलझी
१४)
शूल नही माँ
बन फूल खिलुंगी
तेरे अँगना
१५)
बंदूक चुप
बरसे कुछ शब्द
रिश्ते घायल
१३)
जीवन ग्रंथ
अनूठी प्रश्नावली
अनसुलझी
१४)
शूल नही माँ
बन फूल खिलुंगी
तेरे अँगना
१५)
मानो ना मानो
मुझमे चीखता है
तुम्हारा मौन
१६)
जात की खाई
आरक्षण का पुल
पाट न पाई
चुनावी खेल
जाति समीकरण
प्रतिभा फेल
१८)
१८)
गहरा कूप
संचित जलराशि
रोग अकूत
१९)
देती जीवन
जल की हर बूंद
खोलो बंधन
ढला दिवस
थकी जर्जर काया
ढूंढती छाया
२१)मन के रिश्ते
बंधे प्रीत की डोर
सदा निभते
२२)
संजोये रखे
फूलों से बेहतर
तेरे सितम